इक्विनॉक्स-6
प्रदेश की राजधानी
रायपुर में आज भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM)
रायपुर के वार्षिक समारोह इक्विनॉक्स (EQUINOX-6)
की शुरूआत हुई। जिसमें तमाम अन्य प्रतियोगिताओं के साथ-साथ नुक्कड़ नाटक
प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। नुक्कड़ नाटकों की ज़रूरत के मुताबिक आम लोगों के
बीच यह नाटक रायपुर रेलवे स्टेशन परिसर में किया गया। इसमें आयोजक संस्था आईआईएम के
अलावा बीआईटी दुर्ग, एनआईटी, एआईआईएमस और शंकराचार्य जैसे कॉलेजों की टीम ने
हिस्सा लिया। तक़नीकी और चिकित्सीय शिक्षा ग्रहण करने वाले युवक युवतियों में
रंगकर्म जैसी विधा के लिए इस तरह का जोश देखकर दिल बाग-बाग हो गया। इन
छात्र-छात्रों ने समाज में घट रहे या मौजूद समसामयिक विषयों को ही अपनी प्रस्तुति
का हिस्सा बनाया। कुछ छोटी-मोटी ख़ामियों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाए (जिसे किया ही
जाना चाहिए) तो सभी का उत्साह, आपसी तालमेल और जुनून तारीफ़ के क़ाबिल रहा।
आयोजक संस्था IIM
रायपुर ने समसामयिक विषय लड़कियों से होने वाली छेड़खानी (EVE
TEASING) और बलात्कार आदि विषयों को अपनी विषय वस्तु बनाया
और अच्छे तालमेल के साथ अपनी प्रस्तुति दी।
एनआईटी रायपुर ने
बहुत ही संवेदनशील विषय मानसिक रूप से कमज़ोर व्यक्तियों को अपनी प्रस्तुति की विषय
वस्तु बनाया। साथ ही यह भी की ऐसे लोगों के प्रति हमारी क्या ज़िम्मेदारी होनी
चाहिए या हमें उनका तिरस्कार ना करके, उन्हें किस तरह सहयोग करना चाहिए ताकि वे
अपनी इस कमज़ोरी से बिना किसी हीन भावना के उबर सकें और समाज में अपना उचित स्थान
महसूस कर सकें। नाटक कहीं ना कहीं संदेश देने में सफ़ल होता है कि ऐसे लोगों को दया
नहीं परिजनों का, समाज का सहयोग चाहिए। अगर यह सहयोग सही दिशा में और सही तरीक़े से
मिले तो ग़लतफ़हमी या हीनभावना से ग्रसित होकर जो लोग कई बार आत्महत्या जैसा नादानी
भरा क़दम उठा बैठते हैं उन्हें सही दिशा मिले और वे ईश्वर के वरदान ‘जीवन’ का सही आनन्द
प्राप्त कर सकें। पूरी टीम का प्रदर्शन शानदार रहा।
बीआईटी, दुर्ग ने
अपनी प्रस्तुति में धर्म, प्यार, बलात्कार और लव जेहाद जैसे विषयों को सम्मलित
किया। कहीं ना कहीं इन युवाओं ने आम जनता को यह संदेश देने का प्रयास किया कि धर्म
के नाम पर हमें आपसी सौहार्द को नहीं बिगाड़ना चाहिए। कहीं ना कहीं उन्होने हमारी
वर्तमान राजनीति और राजनेताओं पर भी कटाक्ष किया और इस तरह के ज़्यादातर झगड़ों को
इनकी ही उपज करार दिया। वरना आम इंसान को अपनी रोटी-कपड़ा और मक़ान की ज़द्दोजहद के
अलावा कुछ सोचने की फुर्सत ही कहां हैं। उनका कहीं ना कहीं एक बड़ा संदेश यह भी रहा
कि संसार का सबसे बड़ा धर्म प्यार है और हमें प्यार को ही बढ़ाना और एक-दूसरे को
बांटना चाहिए। अगर ऐसा कर पाए तो ना केवल जीवन बल्कि परिवार, समाज, देश, यहां तक
कि पूरा संसार सुखमय हो जाएगा। टीम का प्रयास बहुत अच्छा रहा लेकिन थोड़ा सा समय का
ध्यान नहीं रख पाए और नाटक थोड़ा खिंचता नज़र आया। प्रस्तुति में थोड़ा सा और कसाव
होना चाहिए था।
एम्स रायपुर की टीम
ने पिछले लम्बे समय से चली आ रही किसानों की हालत को अपनी विषय वस्तु बनाया, जो आज
बद से बदतर हो चली है। जगह जगह किसान आत्महत्या को मजबूर हैं और नेता घोषणाएं तो
बहुत करते नज़र आते हैं लेकिन वास्तव में एक ग़रीब या किसान के दर्द को महसूस करने
की ज़हमत नहीं उठाना चाहते। आज भी किसान सरकारों के तमाम बड़े-बड़े दावों और वायदों
के प्रलोभन में आकर अपने लिए अच्छे दिनों की अपेक्षा करने लगते हैं, मदद मांगने के
लिए जाते भी हैं लेकिन ज़्यादातर निराश लौटते हैं। जो सक्षम हैं, ज़्यादातर वे ही
सुविधाओं का लाभ उठा पाते हैं। आम किसान के हाथ तो मायूसी ही आती है। वो फिर से
उन्हीं पारम्परिक सूदखोर साहू के मकड़जाल में जा फंसता है और फिर उससे कभी निकल ही
नहीं पाता, बस पिसता जाता है, पिसता जाता है। पूरी टीम ने बेहतरीन प्रस्तुति देने
का भरसक प्रयास किया लेकिन शायद उस मात्रा में अभ्यास नहीं किया। ज़ाहिर है
प्रस्तुतिकरण उतना बेहतर नहीं हो पाया जितना उम्मीद दूसरे कॉलेजों को इनसे थी। या
फिर ये भी कह सकते हैं कि शायद आज का दिन उनका नहीं था।
पांचवी और अंतिम
टीम शंकराचार्य रायपुर रही जिसने बहुत ही बेहतर तरीक़े से चुनावों, कॉलेज, राजनीति
और वोट की अहमियत को अपनी विषय सामग्री बनाया। टीम ने बहुत ही बढ़िया ढ़ंग प्रतिकों
का इस्तेमाल किया। विषय की गम्भीरता और संवेदनशीलता को सरल और सहज तरीक़े से आमजन तक
पहुंचाया जिसे लोगों ने भी सहज भाव से स्वीकार किया और तालियों से अभिवादन किया।
सभी टीमों ने मौक़े
पर मौजूद आमजन तक अपनी बात बहुत ही समसामयिक विषयों के ज़रिए गम्भीरता, संवेदनशीलता
और मनोरंजन के साथ पहुंचाई जो किसी भी नाट्य प्रस्तुति के बहुत आवश्यक तत्व होते
हैं। इसलिए किसी को भी कमतर आंकना ठीक नहीं। चूंकि यह प्रतियोगिता थी इसलिए किन्ही
दो को विजेता घोषित करना एक रस्म अदायगी होती है इसलिए दो टीमों को चुना गया। जहां
शंकराचार्य रायपुर की टीम दूसरे स्थान पर रही वहीं एनआईटी रायपुर की टीम ने प्रथम
स्थान प्राप्त किया। एक सबसे बड़ी बात जो इनमें वहां नज़र आई कि सभी ख़ुश दिख रहे थे
और एक दूसरे को बधाई दे रहे थे। शायद यही इस आयोजन की सबसे बड़ी सफलता रही। कहीं ना
कहीं एक उम्मीद की किरण भी नज़र आई कि लैपटॉप, एप्स, इंटरनेट और मोबाइल की दुनिया
से ओतप्रोत आज की युवा पीढ़ी इस विधा का महत्व समझ रही है और इसे अपना रही है।
निसंदेह रंगकर्म का भविष्य उज्जवल है। सभी को बधाई।
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