मित्रों 'स्मृति शेष नाट्य समारोह' में होने वाले दूसरे नाटक
'आधी रात के बाद'
की कुछ तस्वीरें
लेखक : डॉ. शंकर शेष
निर्देशक : रितेश मेश्राम
नाटक एक दिलचस्प चोर की दिलचस्प कहानी है। एक चोर जो कई मामलों में जेल मे रहने का आदि है अभी फ़िलहाल बाहर है फिर जल्दी से जल्दी जेल जाना चाहता है इसलिए वो एक जज के घर बलात घुस जाता है और जज के माध्यम से पुलिस को फोन कर बुलाने का आग्रह करता है। जज काफी धैर्य से उससे पूछते हैं कि आखिर उसे जेल जाने की इतनी जल्दी क्योँ है चोर काफी देर तक जज को इधर उधर की बातों में उलझाता रहता है और बार बार पुलिस को फ़ोन पर बुलाने का अनुरोध करता रहता है। इस बीच चोर अपने चोरी एवं सजा के दौरान के किस्से एवं अनुभव जो उसे न्यायलय एवं बाकि दुनिया से मिले थे जज को सुनाता है। किस्से और अनुभव इतने रोचक हैँ कि जज चोर के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हो जाता है।
"आधी रात के बाद" नाटक मे जहाँ चोर अपने अपराधों की स्वीकारोक्ति करता है वहीँ दूसरी ओर समाज के तथाकथित उच्चवर्ग के चेहरे से एक एक कर गुनाहों का पर्दा उतारता हुआ मानो पूछ रहा हो कि बताओ वास्तव में चोर कौन है?
नाटक देश की न्याय व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है कि क्यों छोटे मोटे अपराधियों को सजा देने को वो तत्पर दिखती है वहीँ जो बड़े अपराधी हैं जो लाखों करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य से,उनकी ज़िन्दगी से खिलवाड़ करते हैं उन पर कानून का लम्बा हाथ क्यों नहीं पहुंचता ? क्यों ऐंसे चेहरों को कोई नहीं पहचानता ? क्यों उन्हें सजा नहीं होती ?
मंच पर :-
जज - राजेश श्रीवास्तव
चोर - सुबास मुदुली
पत्रकार - नितेश केडिया
मंच परे :-
संगीत- भारत भूषण परगनिहा /मणिमय मुखर्जी
मंच सज्जा- शैलेश कोडापे, जितेन्द्र,चारु श्रीवास्तव
प्रकाश - रोशन घडेकर
रूप सज्जा _मणिमय मुखर्जी
निर्देशन - रितेश मेश्राम
सहयोग - रणदीप,संदीप कृष्ण गोखले
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