स्मरण मुक्तिबोध
और
चारूदत्तम
13 नवम्बर को मुक्तिबोध जी की जन्म तिथि है। इस अवसर पर कार्यक्रम की शुरूआत हुई मुक्तिबोध जी की एक कविता से (मुझे तुम्हारा साथ मिला है . . . . ) जिसका गायन सुयोग पाठक, रचना मिश्रा एवं ललित देवांगन द्वारा किया गया। इस दिन मुक्तिबोध नाट्य समारोह के दूसरे दिन दो प्रस्तुति हुई। पह्ला थी मुक्तिबोध जी की रचनाओं पर आधारित प्रस्तुति "स्मरण मुक्तिबोध" (इसमें केवल कविताएं नहीं बल्कि कहानियों के अंश भी सम्मिलित किए गए थे)। इसका प्रदर्शन ख़ैरागढ़ विश्वविद्यालय के छात्रों ने किया। इस नाटक का निर्देशन डॉ. योगेन्द्र चौबे ने किया।
गौरतलब है कि मुक्तिबोध की रचनाओं में मनुष्य का संघर्ष, उसकी जिजीविषा, विचार संकट, प्रजातंत्र में पूंजीवाद का बढ़ता प्रभाव जैसे कारकों के प्रति चिंता प्रकट होती है। ये कारक स्पष्ट तौर पर समाज को प्रभावित करते हैं।
इसी शाम दूसरी प्रस्तुति थी नाटक "चारूदत्तम"। दिल्ली की संस्था 'थियेटरवाला' द्वारा प्रस्तुत इस नाटक का निर्देशन रामजी बाली ने किया। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक रामजी इससे पहले भी दो बार मुक्तिबोध नाट्य समारोह में अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं।
भास रचित नाटक "चारूदत्तम" दरअसल चारूदत्त और वसंतसेना की प्रचलित प्रेमकथा पर आधारित है। उज्जयिनी में रहने वाला उदार चारूदत्त दरिद्र हो गया है। उसकी उदारता के कारण प्रख्यात नृत्यांगना वसंतसेना को उससे प्यार हो जाता है। राजा का साला शकार छ्ल-बल से वसंतसेना को पाना चाहता है। बस इसी ताने बाने और चारूदत्त की उदारता एवं वसंतसेना की अनुरक्तता पर आधारित है "चारूदत्तम"।
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