नाट्य कार्यशाला का समापन समारोह
सुतनुका सोसाइटी द्वारा आयोजित नाट्य कार्यशाला का समापन 31 मई को कर दिया गया। समापन समारोह की अध्यक्षता जाने माने समाज सेवी श्री शंकर दानवानी जी ने की।
श्री दानवानी जी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं की समाज को ज़रूरत है और रंगकर्म के बारे में जानकर नई पीढ़ी अपना जीवन संवार सकती है। उन्होने बताया कि इस तरह के प्रयास लगातार किए जाते रहने चाहिए और प्रदेश में फिर से रंगकर्म का बेहतर माहौल तैयार करना चाहिए। उन्होने कहा कि कुछ लोग है जो निरंतर प्रदेश की राजधानी में वार्षिक नाट्योत्सव जैसे आयोजनों से इस परंपरा को चलाए रखने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन ये प्रयास तभी सफ़ल हो पाएगा जब हमारी नई पीढ़ी इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएगी।
संस्था के अध्यक्ष रवीन्द्र गोयल ने कहा कि हमें नाट्य परम्परा को अपने संस्कारों में शामिल करना होगा। अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाना होगा। जब ऐसा हो जाएगा तो वो दिन दूर नहीं जब नाटकों के कलाकार भी अपनी आजीवका के लिए किसी और रोज़गार को तलाशने के लिए मजबूर नहीं होंगे। बल्कि इस रंगमंच से वो अपनी आजीविका जुटा पाएंगे। आज ये बात ज़रूर सपना सा लगती हों लेकिन महाराष्ट्र और बंगाल जैसे दूसरे राज्यों में यह हो रहा है। इसलिए आवश्कता है इस दिशा में कठोर परिश्रम करने की और एक अलख जगाने की। सुतनुका सोसाइटी ने यह बीड़ा उठाया है और इस मुहीम को आगे बढ़ाने की रणनीति तैयार की है।
रवीन्द्र गोयल ने यह भी बताया कि आगामी 6 जून 2014 से संस्था रायपुर के कचना इलाके में एक नाट्य कार्यशाला का आयोजन कर रही है। जिसमें वो ग़रीब बालिकाएं शामिल हो रही है जो या तो अपनी पढ़ाई छोड़ चुकी हैं या फिर छोड़ने को मजबूर हैं। उनके परिजन चाहते है कि वे बालिकाएं घर की आमदनी बढ़ाने में मदद करें या फिर घर सम्भालें ताकि घर के दूसरे सभी लोग काम पर जा सकें। हम ऐसी बालिकाओं को समझा रहे हैं कि उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखनी चाहिए और इसके लिए अगर थोड़ा हठ भी करना पड़े तो करना चाहिए। रवीन्द्र जी ने बताया कि रंगमंच ना केवल लोगों में अनुशासन लाता है बल्कि पूरे व्यक्तित्व को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
समापन समारोह में आभार सचिव श्री हरीश अभिचंदानी ने व्यक्त किया और इस मुहिम को जारी रखने की बात दोहराई।
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