आंगनबाड़ी की बालिकाएं
सीख रहीं हैं रंगकर्म
सुतनुका सोसाइटी फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स
बच्चियों को सिखा रही है रंगकर्म। 21 दिन तक चलने वाले इस रंग शिविर में बच्चियों
को ना केवल अभिनय की जानकारी दी जाएगी बल्कि भाषा और उसके उपयोग को भी समझाया जाएगा। अभिनय के दौरान संवाद अदायगी आदि की उपयोगिता बताई जाएगी और उनका प्रयोग किया जाएगा।
गौरतलब है कि रंगमंच ना केवल एक कला और संस्कृति है बल्कि जीवन जीने का तरीक़ा है, जो हमें जीवन कौशल सिखाता
है। जीवन की विषम
परिस्थितियों में सहज और सरल ढंग से जीने का अंदाज़ सिखाता है। सबसे बढ़कर जीवन में
सुक़ून का अहसास कराता है। हमें अपनी संस्कृति,
अपने संस्कारो से
जोड़े रखने में रंगकर्म एक सशक्त और सार्थक भूमिका अदा कर सकता है।
वैसे तो संगीत का हमारे पूरे जीवन में ही
बहुत महत्वपूर्ण स्थान है लेकिन रंगकर्म में भी संगीत अति महत्वपूर्ण स्थान रखता
है। इसी को समझने का मौक़ा भी सुतनुका सोसाइटी की कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों
को डॉ. सुयोग पाठक के माध्यम से मिलेगा। दूसरे विशेषज्ञों द्वारा कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को मेकअप, वेशभूषा और प्रकाश व्यवस्था पर भी यथासंभव जानकारी दी जाएगी। कार्यशाला
का संचालन रवीन्द्र गोयल द्वारा किया जा रहा है। जो इससे पहले ना केवल अभिनय, रंगमंच प्रबंधन और नाट्य लेखन से जुड़े रहे
हैं बल्कि नाट्य निर्देशन भी करते रहे हैं। रवीन्द्र पूर्व में 22 साल सक्रिय
व्यवसायिक रंगकर्म से जुड़े रहे हैं। कार्यशाला के दौरान रवीन्द्र गोयल के निर्देशन
में एक नाटक भी तैयार किया जाएगा। सुतनुका द्वारा आयोजित इस कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य रंगमंच के लिए
युवाओं को प्रोत्साहित करना है। कार्यशाला का समापन 31 मई को होगा।
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