शराबी के साथ विवाह
नहीं करेगी रूपा
सुतनुका सोसाइटी
द्वारा पिछले 20 दिन से चल रहा ‘बाल रंग शिविर’ अब अपने अंतिम पड़ाव
पर है। इस दौरान आंगनबाड़ी की किशोरी बालिकाओं ने ना केवल अभिनय की कुछ बारिक़ियों को समझने का प्रयास
किया बल्कि इंप्रोवाइज़ेशन, एक वस्तु के अनेक इस्तेमाल, नृत्य एवं गीत-संगीत को भी कुछ क़रीब से जानने की कोशिश की। प्रशिक्षण ले रहीं किशोरियों ने मिलकर, नाटक “रूपा के
बिहाव” तैयार किया है।
नाटक की नायिका रूपा अभी 15 साल की है, उसका पिता उसकी
शादी तय कर देता है, समाज भी दबाव डालता
है लेकिन रूपा हिम्मत जुटाकर मना करती है और फिर अपनी बात पर अड़ जाती है। इस नाटक की
रूपरेखा कार्यशाला के दौरान किशोरियों से बात करते-करते तैयार हुई। भाषा छत्तीसगढ़ी
ही रखी गई क्योंकि सभी बालिकाएं उसमें ख़ुद को सहज़ महसूस कर रही थीं। जिसे आसान से
शब्दों में कृष्णा सोलंकी ने लिखा है। इस दौरान इन बच्चों ने एक गीत भी तैयार किया
है जिसमें अपने परिजनों और समाज से उन पर ज़रूरत से ज़्यादा बंदिशें ना लगाने की
अपील करते नज़र आते हैं। किशोरियां अपने ऊपर लगाए जाने वाले अंकुश हटाए जाने की
मांग करती हैं। गीत रवींद्र गोयल ने लिखा है। उन्होने बताया कि किशोरियों को
छोटी-छोटी खुशियों से वंचित किया जाता है जिसके कारण उनके मन में उठने वाली हर लहर
या तो शांत हो जाती है या फिर उसे दबा दिया जाता है। गीत में यही है कि ऐसे में वे
बच्चे क्या चाहते हैं।
नाटक का मंचन 31 मई को मोवा आंगनबाड़ी केंद्र में ही बच्चों के परिजनों और
गांववालों के बीच किया जाएगा।
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